उत्तर प्रदेशमुजफ्फरनगर

छह दशक पुराने बकाया किराये में जीएसटी पर पालिका में शुरू हुई रार

किराये में18 फीसद जीएसटी जमा कराने का हो रहा विरोध

मुजफ्फरनगर। नगर क्षेत्र में बनी पालिका मार्किट की दुकानों के किरायेदार पशोपेश में है। पालिका के किराया विभाग ने दुकानदारों से बकाया वसूली और किराया निर्धारण की कार्यवाही शुरू की है। इस दौरान दुकानदारों पर बकाया किराए पर 18 फीसदी जीएसटी वसूली जा रही है, लेकिन यह जीएसटी साल 1965 से बकाया किराये पर लिये जाने की व्यवस्था से पालिका में नई रार शुरू हो गई है। दुकानदारों ने विरोध करते हुए चेयरपर्सन से शिकायत करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कर निर्धारण अधिकारी को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये हैं। व्यवस्था सुधार नहीं होने और कुछ मामलों में तय किराये में ली गई जीएसटी का समायोजन नहीं करने पर मार्किट दुकानदारों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इसको लेकर जल्द बैठक बुलाने की तैयारी हो रही है।
नगरपालिका परिषद् की नगर क्षेत्र में अपनी 17 मार्किट हैं, जिनमें वर्तमान में 509 दुकानदार किरायेदार के रूप में कारोबार चला रहे हैं। इन किरायेदारों पर किराया बढ़ोतरी की ओर बढ़ते हुए पालिका के टैक्स विभाग ने किराया पटल ने जो फार्मूला अपनाया, उसका विरोध हो रहा है। इसमें की गई कई व्यवस्थाओं को दुकानदारों ने गलत बताते हुए उन्हें बदलने की मांग की है। पालिका के शिव मार्किट के दुकानदार और व्यापारी नेता भानु प्रताप अरोरा ने बताया कि नगर पालिका द्वारा पिछले करीब एक सवा साल से पालिका मार्किट के दुकानदारों पर शासनादेश के अनुसार किराया बढ़ोतरी करते हुए बकाया वसूली का काम कर रही है, इसके लिए बकाया पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू करते हुए वसूली हो रही है, पर यह जीएसटी की रकम दुकानदारों से 1965 व 1977 से लागू किए गए आवंटन और बकाया किराया रकम पर तय किया जा रहा है, जबकि 59 साल पूर्व 1965 में जीएसटी तो क्या कोई भी टैक्स लागू नहीं था। 1965 से 2024 तक बकाया किराया रकम तय करते हुए इस पर टोटल रकम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। उनका कहना है कि उन्होंने अन्य दुकानदारों के साथ मिलकर इस मामले को चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के समक्ष रखते हुए मांग की थी कि जीएसटी 2017 में लागू हुआ है, इसे तब से लिया जाये, इससे पहले 2017 तक सर्विस टैक्स और वैट लागू किया था, जिसमें 14 प्रतिशत टैक्स लिये जाने का प्रावधान था। ऐसे में जिन प्रकरणों में 1965 से 2024 तक जीएसटी ली गई है, उनमें नये सिरे से संशोधन करते हुए व्यापारी से ज्यादा ली गई रकम का उसके आगामी किराये के रूप में समायोजन किया जाये।

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