उत्तर प्रदेशमुजफ्फरनगर

किसान डीएपी के स्थान पर करें एनपीके उर्वरक का प्रयोग

मुजफ्फरनगर। देश में फसलों की लागत कम करने के साथ में डीएपी की खपत कम करने के लिए सरकार अन्य सस्ते व अच्छे खाद-उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में जुटी है। इस कड़ी में डीएपी खाद की खपत में काफी कमी होगी। वहीं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ एनपीके व लिक्विड नैनो यूरिया के उपयोग के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की कवायद तेज हुई है।
योगी सरकार की इसी पहल पर यूपी में किसान बेहतर पैदावार लेने के लिए अब डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का इस्तेमाल करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। कृषि अधिकारी राहुल तेवतिया ने बताया कि जिले में वर्तमान में उर्वरक की कोई भी कम नहीं है। यहां पर किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है। जनपद में यूरिया 16500 मैट्रिक टन, डीएपी 1525 मैट्रिक टन और एनपीके 3890 मैट्रिक टन उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि एनपीके उर्वरक में 12 फीसदी नाइट्रोजन, 32 फीसद फास्फोरस और 16 फीसदी पोटाश की मात्रा मौजूद है। गेहूं व मक्का की बुवाई में डीएपी के स्थान पर एनपीके खाद का प्रति हेक्टेयर 188 किग्रा प्रयोग किया जा सकता है, वहीं दलहन की बुवाई में 130 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाना चाहिए। डीएपी जितना कारगर है उतना एनपीके उर्वरक कारगर है। इसमें 16 फीसद फास्फेट, 12 फीसद सल्फर एवं 19 फीसद कैल्शियम पाया जाता है। गेहूं, चने व मटर की बुवाई में डीएपी 130 किग्रा प्रति हेक्टेयर के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट 375 किग्रा प्रति हेक्टेयर में प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने जिले के किसानों से डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का प्रयोग करने का सुझाव दिया।

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