नगर में लगने लगे गंदगी के अम्बार, पैसा डकारने में जुटी कंपनी
अनुबंध की शर्तो में विफल साबित हुई दिल्ली की कंपनी
मुजफ्फरनगर। नगरीय क्षेत्र में स्वच्छता का वातावरण पैदा करने में जुटी पालिका की योजना को दिल्ली की कंपनी पलीता लगाने में लगी है। यह हालात ऐसी स्थिति में ओर भी भयावह साबित हो रहे हैं, जब सफाई के लिए पालिका प्रशासन दिल्ली की कंपनी को एक दिन के तीन लाख रुपये से अधिक भुगतान कर रहा है। वहीं अपने सफाई कर्मचारियों और संसाधन पर खर्च अलग, लेकिन कंपनी पालिका का खजाना खाली करने में लगी है। उधर, साफ सफाई के हालात बदतर होते जा रहे हैं। पालिका से पैसा लेने की होड़ में कंपनी भूल गई कि घर और प्रतिष्ठानों से पैसा वसूल करते हुए उसे पालिका में जमा कराना है।
नगरपालिका द्वारा शहरी क्षेत्र की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ घर व प्रतिष्ठानों से कूड़ा कलेक्शन को दिल्ली की कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एण्ड फैसिलिटी प्रा. लि. के साथ करार के तहत प्रतिमाह भुगतान के लिए हर माह 92 लाख रुपये भुगतान किया जा रहा है। वहीं पालिका के नियमित, संविदा व ठेके के करीब 1 हजार सफाई कर्मचारी, वाहन और संसाधन भी हैं, ये भी शहरी सफाई व्यवस्था में दिन रात जुटे हैं। इनके वेतन और वाहनों की मरम्मत पर भी करीब करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। ये अकेला खर्च इसलिए कि शहर की सफाई सुधर जाये, लेकिन इतना मोटा खर्च होने और दिल्ली की कंपनी को साथ लगाने के बाद भी शहर सड़ता जा रहा है। उक्त कंपनी ने फरवरी से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और कूड़ा डलावघरों से कूड़ा निस्तारण का कार्य अपने हाथों में लेकर काम शुरू किया था। इसके बाद कंपनी को कूड़ा डलावघर बंद करने का टास्क दिया गया। कंपनी ने दावा किया कि करीब 12 डलावघर बंद करा दिए, लेकिन इनमें से अधिकांश स्थान पर आज भी कूड़ा डाला जा रहा है। सबसे बुरा हाल मौ. लद्दावाला व नई मंडी में राजवाहा रोड तथा फल मंडी वाली साइड में देखने को मिलता है। वहीं घरों और प्रतिष्ठानों से भी टिपिंग फीस वसूलने में कंपनी नाकाम साबित हुई है। कंपनी को नगरपालिका से तो भुगतान मिल रहा है, लेकिन कंपनी अपने अनुबंध का पालन करते हुए टिपिंग फीस पालिका को नहीं दे रही। बाजारों में भी कंपनी काम करने में फेल साबित हुई है। वहां से न कूड़ा कलेक्शन ही प्रतिष्ठानों पर एमआईटूसी कर पा रही है और न ही इन प्रतिष्ठानों से निर्धारित टिपिंग फीस ही वसूल पा रही है।
इन्होंने कहा-
कंपनी के परियोजना प्रबंधक व जोन इंचार्ज पुष्पराज सिंह का कहना है कि सफाई व्यवस्था में जो परेशानी पैदा हो रही है, वो पालिका की ओर से सहयोग नहीं मिलने के कारण हो रही है। शहर में प्रतिदिन कंपनी कर्मचारी कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वार्डों में नगर पालिका नियमित रूप से करीब 350 लोग जोकि पालिका संविदा, नियमित व ठेका सफाई कर्मी हैं, डोर टू डोर कूड़ा उठाकर पैसा वसूलने का काम कर रहे हैं। मंडी क्षेत्र में कृषि उत्पादन मंडी समिति खुद सफाई कराती है, जिसका उनके द्वारा ठेका दिया है, जो गंदगी है समिति ठेकेदार ही फैला रहा है। बाजारों में सफाई के लिए सात आठ गाड़ियों तीनों जोन में निकल रही हैं। वहां पर दुकानों से 100 और 200 रुपये वसूलने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन पालिका कर्मचारी ही पैसा वसूल रहे हैं। पालिका से भी पूरा भुगतान कंपनी को नहीं मिल पा रहा है।