उत्तर प्रदेशधर्म-संस्कृतिमुजफ्फरनगर

दुर्गा अष्टमी नवमी को लेकर असमंजस की स्थिति

11 अक्टूबर कोई होगी श्री दुर्गा मा अष्टमी

मुजफ्फरनगर। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से आरंभ हुए है। इसके साथ ही पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। लेकिन इस साल नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर थोड़ा सा कंफ्यूजन बना हुआ है। दरअसल, इस बार कुछ तिथियों दोपहर से आरंभ होकर दूसरे दिन दोपहर में समाप्त हो रही है। ऐसा क्रम दशहरा तक चल रहा है। इस कारण अष्टमी और नवमी की तिथि को लेकर कंफ्यूजन में है। जानें नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत कब रखा जाएगा। इसके साथ ही शुभ मुहूर्त और महत्व..

कब है अष्टमी और नवमी तिथि 2024
द्रिक पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा।
चर (सामान्य) – सुबह 06.20 – सुबह 07.47
लाभ (उन्नति) – सुबह 07.47 – सुबह 09.14
अमृत (सर्वोत्तम) – सुबह 09.14 – सुबह 10.41

शारदीय नवरात्रि कन्या पूजन 2024 शुभ मुहूर्त
महाष्टमी पर कन्या पूजन- 11 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से लेकर 1 बजकर 35 मिनट तक कर सकते हैं।
राहुकाल- दोपहर 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक
भय, डर और संकट से छुटकारा पाने के लिए तुरंत बोले ये शब्द, हर दुख होगा दूर, प्रेमानंद महाराज जी से जानें
शारदीय अष्टमी और नवमी का महत्व
हिंदू धर्म में नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। महाष्टमी को नवरात्रि का सबसे शक्तिशाली दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। महाअष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है।मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुरमर्दिनी का स्वरूप धरा था और महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन हवन आदि करने के साथ कई साधक व्रत का पारण कर देते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button