उत्तर प्रदेशधर्म-संस्कृतिमुजफ्फरनगर

नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित

मुजफ्फरनगर। नवरात्रि के दूसरे दिन, देवी दुर्गा के दूसरे स्‍वरूप, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। इस दिन उनकी पूजा करने से आपके जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। कठोर तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली मां ब्रह्मचारिणी को शत शत नमन है। मान्‍यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में अच्छे गुण आते हैं। साथ ही आपके अंदर त्याग, सदाचार और संयम की भावना बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यह तप, त्याग, संयम और सदाचार जैसे गुणों को भी बढ़ावा देती है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक माने जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे पड़ा मां दुर्गा का नाम ब्रह्मचारिणी। साथ ही जानें मां का प्रिय भोग, मंत्र और आरती।
ऐसे पड़ा मां का नाम ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के तपस्विनी रूप की पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। नारद मुनि के कहने पर, उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक उनकी कठोर तपस्या के कारण ही उन्हें तपस्विनी या ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। इस कठिन तपस्या के दौरान, उन्होंने कई वर्षों तक बिना कुछ खाए-पिए कठोर तपस्या की और महादेव को प्रसन्न किया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन किया जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन, मां के इस रूप की पूजा उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण के प्रतीक के रूप में की जाती है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और दृढ़ निश्चय से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का स्‍वरूप
मां ब्रह्मचारिणी, ज्ञान और विद्या की देवी हैं, जो अपने भक्तों को विजय दिलाती हैं। देवी का रूप अत्यंत सरल और सुंदर है। श्वेत वस्त्र धारण किए, एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल लिए हुए हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली। यह देवी, संसार के सभी जीवों और निर्जीव वस्तुओं के ज्ञान की स्वामिनी हैं। इनके हाथों में मौजूद अक्षयमाला और कमंडल, शास्त्रों और तंत्र-मंत्र के ज्ञान का प्रतीक हैं। अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती है। ब्रह्मचारिणी का स्वभाव बहुत ही शांत और दयालु है। दूसरी देवियों के मुकाबले में यह देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को वरदान देती हैं और हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। पढ़ने वाले बच्‍चों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और विद्या धन की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
नवरात्रि के दूसरे दिन मां भगवती को चीनी या फिर मिसरी का भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि इससे भक्तों को लंबी उम्र और अच्छी सेहत मिलती है। चीनी का भोग लगाने से अच्छे विचार भी आते हैं। मां पार्वती की कठिन तपस्या को याद करके हमें संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। नवरात्रि का दूसरा दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन मां को मीठा भोग लगाया जाता है। ऐसा करने से आपको आरोग्‍य की प्राप्ति होती है और मन में अच्छे विचारों का आगमन होता है। मां दुर्गा का यह रूप में हमें शांत रहते हुए अपने लक्ष्‍य पर फोकस करने के लिए प्रेरित करता है। मां को पीले रंग के वस्त्र, फूल और फल भेंट करने का महत्व बताया गया है। यह रंग सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का भी प्रतीक माना जाता है। इसलिए मां को पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजा मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button