पशु चिकित्सक के अभाव में ग्रामीणों में रोष, किया प्रदर्शन
पशुओं की कीमती दवाओं की बर्बादी व बदहाली पर कार्रवाई की मांग
मुजफ्फरनगर। खतौली क्षेत्र के गांव पुरा का पशु चिकित्सालय जिम्मेदारों की उपेक्षा से बदहाली के आंसू बहाने को विवश है, लेकिन इस समस्या के निदान के हालात दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। गांव का 50-60 के दशक में बना पशु चिकित्सालय बीते कई महीने से सरकारी चिकित्सक की गैर हाजिरी के चलते लावारिस सा हो गया हैं, जहां ग्रामीणों को इस अस्पताल के समय से न खुल पाने के साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मी के बूते पशुओं का इलाज कराने को विवश होना पड़ रहा है।
शुक्रवार को इस समस्या को लेकर गांव पुरा के दर्जनों ग्रामीणों ने डीएम दरबार में दस्तक देते हुए इस समस्या के निदान कराने की मांग की। कलेक्ट्रेट में पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि बीते कई माह से वहां तैनात चिकित्सक के न होने से बीमार पशुओं को इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है। वहीं प्रात: 8 बजे से ढ़ाई बजे तक खुलने वाले अस्पताल में कोई समय सीमा ही नहीं बन पा रही है। वहीं पशु अस्पताल में गंदगी की भरमार है और लाखों रुपए की दवाईयां कूड़े के ढेर में पड़ी मिली है, दवाईयों का समय रहते सदुपयोग न होने के साथ ही वैक्सीन को नाली में बहा दिया है। इसके साथ ही क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों को चिकित्सक के न आने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने इस समस्या का निदान कराने की मांग की है।
उधर, डॉ. रिचा मिश्रा ने क्षेत्र के लोगों द्वारा लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए बताया कि अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं पूर्ण जिम्मेदारी से निर्वहन की जा रही हैं और समय-समय पर अस्पताल में वह भी पहुुंचती है, लेकिन मुजफ्फरनगर के साथ गोयला की जिम्मेदारी होने के कारण रोस्टर के अनुसार पुरा चिकित्सालय में जिम्मेदारी पूर्ण की जा रही है।