उत्तर प्रदेशमुजफ्फरनगर

क्रांति सेना संगठन में शुरू हुआ विवाद, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप

मुजफ्फरनगर। एक बार फिर से हिन्दूवादी विचारधारा के प्रमुख संगठन क्रांति सेना में टूट हुई है। इस संगठन से जुड़े रहे महासचिव मनोज सैनी के नेतृत्व में कई पदाधिकारियों ने संगठन से किनारा करते हुए दावा किया कि संगठन को उनके द्वारा भंग कर दिया गया है। अब इसके नाम का प्रयोग अवैध होगा। वहीं संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने कहा है कि मनोज सैनी को हमने पहले ही पदमुक्त कर रखा था और संगठन विरोधी गतिविधियों के कारण अब उनकी प्राथमिक सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है। ये लोग कई बार संगठन छोड़कर जा चुके हैं, उनको माफ कर समाज हित में हमने फिर से सम्मान दिया था, लेकिन ऐसे लोगों को सम्मान रास नहीं आता है, अब इनका संगठन में वापसी का मार्ग बंद कर दिया गया है।
क्रांति सेना के संस्थापक सदस्यों की आकस्मिक बैठक राजेश कश्यप के निवास स्थान पर संपन्न हुई। बैठक में सभी सदस्यों ने एक मत से क्रांति सेना को भंग करने का निर्णय लिया। क्रांति सेना संस्थापक सदस्य निवर्तमान प्रदेश महासचिव मनोज सैनी ने कहा कि क्रांति सेना 5 साल के प्रयास के बाद भी आज तक क्रांति सेना का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में क्रांति सेना के नाम से नक्सलियों का एक संगठन कार्य कर रहा है। इसलिए क्रांति सेना के कुछ संस्थापक सदस्य संगठन पहले ही छोड़ चुके हैं और बाकी सदस्यों ने रविवार को क्रांति सेना को भंग करने का निर्णय लिया है। उन्होंने प्रशासन को अवगत कराते हुए कहा कि क्रांति सेना के संस्थापक सदस्यों द्वारा क्रांति सेना का रजिस्ट्रेशन ना होने के कारण भंग करने का निर्णय लिया गया है, यदि कोई भी व्यक्ति भविष्य में क्रांति सेना के नाम से कोई कार्य करता है तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। बैठक में संस्थापक सदस्य निवर्तमान प्रदेश महासचिव मनोज सैनी, निवर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष डा. योगेंद्र शर्मा, निवर्तमान जिला महासचिव राजेश कश्यप, क्रांति सेना जिला अध्यक्ष लोकेश सैनी के अलावा अनेक क्रांति सेना सदस्य उपस्थित रहे।
क्रांतिसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने कहा कि मनोज सैनी संगठन में सदस्य भी नहीं है, तो वो किस अधिकार से संगठन को भंग करने का दावा कर रहे हैं। संगठन मनोज सैनी या उनके साथ रहने वाले चंद लोगों का संगठन नहीं है। यह समाज का संगठन है और स्वतंत्र संगठन है। किसी के कह देने मात्र से संगठन भंग नहीं होगा। ये लोग विभिन्न संगठनों के एजेंट बनकर हमारे साथ काम कर रहे हैं। पहले भी यह जा चुके हैं। इनको समाजहित में माफ करते हुए कई बार संगठन के साथ जोड़ा गया, लेकिन हर बार इनके द्वारा विश्वास घात करते हुए संगठन की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है, अब समाजहित में ही इनकी वापसी के तमाम रास्तों को बंद कर दिया गया है। बैठक में ऐसा प्रस्ताव पारित हुआ है। यदि संगठन के खिलाफ इनके द्वारा कोई भी दुष्प्रचार किया गया तो हम कानूनी कार्यवाही कराने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

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